Saturday, 22 April 2017

अक्षय तृतीया

भीनमाल।
आगामी 28 अप्रेल, शुक्रवार को अक्षय तृतीया है। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि अक्षय तृतीया परम पुण्य तिथि है। शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी ने बताया कि इस दिन दोपहर से पूर्व स्नान, जप, तप, होम, स्वाध्याय, पितृ तर्पण तथा दान करने वाला महाभाग अ़़़क्षय पुण्यफल का भागी होता है।
इस दिन समुद्र या गंगा स्नान करना चाहिए। प्रातः पंखा, चावल, नमक, घी, शक्कर, सब्जी, इमली, फल, वस्त्र, मटका और खरबूजे के दान करके ब्राह्मणों को भोजन व दक्षिणा देनी चाहिए। इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए। इस दिन नवीन वस्त्र, आभूषण बनवाना या धारण करना चाहिए।
त्रिवेदी ने बताया कि इस दिन से सतयुग व त्रेतायुग का प्रारंभ माना जाता है। इसी दिन चारों धाम में से एक बद्रीनारायण के पट खुलते है। नर-नारायण ने इसी दिन अवतार लिया था।  वेद व्यास एवं गणेश द्वारा महाभारत ग्रंथ के लेखन का प्रारंभ दिन है। महाभारत के युद्ध का समापन दिन है। परशुराम का अवतरण भी इसी दिन हुआ था। द्वापर युग का समापन दिन है। माता गंगा का पृथ्वी पर आगमन दिन है। हयग्रीव का अवतार भी इसी दिन हुआ था। ब्रह्मा के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव अर्थात् उदीयमान दिन है।  वृंदावन के बांके बिहारी के मंदिन में केवल इसी दिन श्रीविग्रह के चरण-दर्शन होते है, अन्यथा पूरे वर्ष वस्त्रों से ढंके रहते है।