Tuesday, 18 December 2018

सायन गणित से सूर्य 21-22 दिसम्बर को उत्तरायण में प्रवेश

सायन गणित से सूर्य 21-22 दिसम्बर को उत्तरायण में प्रवेश कर जाते ही शिशिर ऋतु प्रारंभ
सायन गणित के अनुसार 22 दिसम्बर को तड़के 03.54 पर रवि उत्तरायण होंगे
सामान्यतः हम मानते है कि रवि उत्तरायण 14 जनवरी को होता है। परन्तु वास्तविकता यह नहीं है। सायन गणित से सूर्य प्रतिवर्ष 21 या 22 दिसम्बर को उत्तरायण में प्रवेश कर जाते है और शिशिर ऋतु प्रारंभ हो जाती है।
शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी ने बताया कि ज्योतिष में गणित की दो प्रकार की विधियां प्रचलित है-सायन और निरयन। सायन गणित में लग्नादि राश्यादि स्पष्ट लिखे जाते हैं। यह गणित भारत को छोड़कर पूरे विश्व में अपनायी जाती है। साथ ही यह प्रत्यक्ष गणित है। इस गणित में लाखों वर्षों के बाद भी किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता है। परन्तु भारतीय निरयन पद्धति में सूर्य व पृथ्वी के अंतराल को अयनांश रूप में गिनते है। पृथ्वी अपनी धूरी पर घूमते हुए प्रतिवर्ष 55 विकला अथवा करीब 72 से 90 वर्षों में एक अंश पीछे रह जाती है। ईस्वी सन् 285 में अयनांश शून्य था उस समय भारत में भी मकर संक्रांति 21 दिसम्बर को मनाई जाती थी। चूंकि उस समय निरयन व सायन गणित से 21 दिसम्बर को रवि उत्तरायण में प्रवेश करता था। परन्तु दोनों गणित में प्रति वर्ष अंतर बढ़त जा रहा है जो वर्तमान में लगभग 24 अंश हो चूका है। और लगभग आज से 700 वर्ष बाद 34 हो जाएगा तब हम मकर संक्रांति 24 जनवरी को मनाएंगे। चंूकि करीब 72 वर्षों में तीन पीढ़ियां गुजर जाती है तथा वर्तमान में पिछले लगभग 72 वर्षों से 14 जनवरी को मकर संक्रांति मना रहे है अतः हम उसे स्थायी तारीख की संज्ञा देने लगे है। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। त्रिवेदी ने बताया कि आने वाले कुछ वर्षों में स्थायी रूप से 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाने का अभ्यास हो जाएगा।
शताब्दी के अनुसार मकर संक्रांति मनाने का क्रम
16 व 17 शताब्दी में 9 व 10 जनवरी
17 व 18 शताब्दी में 11 व 12 जनवरी
18 व 19 शताब्दी में 13 व 14 जनवरी
19 व 20 शताब्दी में 14 व 15 जनवरी
21 व 22 शताब्दी में 14, 15 व 16 जनवरी