Saturday, 7 January 2017

शनि पनोती

शनि पनोती
शनि को आंग्ल भाषा में सेटर्न कहते हैं। सेट (स्थिर) व्यक्ति को जो टर्न (घुमाव) दे उसी का नाम है-सेटर्न। क्योंकि शनि मूलभूत रूप से कर्मवाद से जुड़ा हुआ ग्रह हैं। सेटर्न मिन्स मेनेजमेण्ट ऑफ्टर डिस्टक्शन अर्थात् सर्वनाश के बाद आयोजन।
पुराणों में उल्लेख आता है कि शनि जाते हुए अच्छे लगते है यानि शनि अपनी पनोती में कष्ट देते है, परन्तु जब पनोती पूरी होती है तो आपको लाभ देने वाले बनते हैं। दूसरे शब्दों में व्यक्ति सोलह कलाओं से खिल उठता है। इतिहास साक्षी है कि प्रत्येक सफल व्यक्ति को पनोती के बाद ही सफलता प्राप्त हुई है।
वर्तमान में शनि मंगल की राशि वृश्चिक पर परिभ्रमण कर रहे है, परन्तु 26 जनवरी 2017 से धनु राशि में प्रवेश करने जा रहे है। धनु राशि बृहस्पति की स्वगृही राशि है जिसमें शनि अपना तटस्थ प्रभाव शुरू करेंगे क्योंकि शनि व बृहस्पति दोनों ग्रह एक दूसरे के लिए न्यूटल ग्रह है। 
कहते है कि संस्कृत के प्रकाण्ड पंडित रावण ने अपने पुत्र मेघनाद के जन्म के पूर्व उसके अमरता के लिए सभी नौ ग्रहों को अपने अनुकूल बना लिया था परन्तु मेघनाद के जन्म से पूर्व शनि ने अपनी चाल बदल दी जिससे रावण ने शनि को बंदी बना दिया था जिसे कालान्तर में हनुमान ने मुक्त कराया था। इसलिए शनि की पनोती के समय हनुमान की पूजा करने से शनि के प्रकोप से बचा जा सकता है।
मूल रूप से शनि अशुभ फल दाता ही नहीं होता है। शनि मूल रूप से न्यायाधिपति है अर्थात् प्राणि मात्र के द्वारा किये गये शुभ व अशुभ कर्मों के अनुसार दण्ड व सुफल देते है।
शनि को शनिश्चर भी कहा जाता है। शनि राशि चक्र में सभी ग्रहों की अपेक्षा अति मन्द गति से चलने वाला होने से इसे मन्द भी कहते है। शनि के चारों ओर तीन रिंग है। यह तीनों रिंग एक दूसरे के कुछ दूरी पर है। प्रत्येक दो रिंग के बीच में काले रंग जैसी खाली जगह है। शनि तीन पीलें रिंग या घेरे सहित आसमानी गेंद की तरह दिखाई देता है।
शनि, सूर्य से 886 मिलियन माइल्स दूर है। यह बृहस्पति से छोटा है, इसका व्यास 75000 मील हैं। इसके नौ चंद्रमा यानि उपग्रह है। शनि, पृथ्वी से आयतन में 700 गुणा बड़ा है, पर वजन में 100 गुणा से कुछ कम है। सूर्य पुत्र शनि को सूर्य की परिक्रमा करने में लगभग 29) वर्ष का समय लगता है। जिससे शनि एक राशि पर लगभग 30 महिनें का यानि 2) वर्ष का समय लेता है।

शनि का धन राशि में आगमन 30 वर्ष में हो रहा है। 26.01.2017 को 19 बजकर 38 मिनट पर शनि धनु राशि में प्रवेश करेगा। सामान्य नियम प्रमाण से शनि ढाई वर्ष एक राशि पर प्रभाव करता है। शनिदेव की समाज व राष्टव्यक्तित्व पर सबसे ज्यादा असर होती है। स्थिर ग्रहों पर शनि किसी भी राशि में होने पर अपने स्थान से तीसरे, सातवें व दसवें भाव पर पूर्ण दृष्टि से देखता है, अर्थात् जन्मकुण्डली में जातक के स्थानों का असरकारक होता है।
पिछले समय अर्थात् 02.11.2014 से मंगल के घर में जलतत्व के शनि ने भूमंडल को ऊपर नीचे कर दिया। राजकारण के राजा शनि ने अति उत्तम नेता दिये। साथ ही प्रजा में कुछ अशांति भी फैली।
अभी धनु राशि में शनि के प्रभाव से अनेक देशों में क्रांति व नये युग का प्रारंभ होगा।
इस वर्ष शनि दो नक्षत्रों पर भ्रमण करेगा जिससे देश में नेताओं में परस्पर मतभेद, शस्त्र कोप, शत्रु भय, रोग वृद्धि व वर्षा में विषमता होगी।
 शनि का धनु राशि में प्रवेश 26.1.2017 को 19.38 पर होगा। उस समय चंद्र पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र व धनु राशि पर है, जिसका प्रभाव विभिन्न राशियों पर निम्न प्रकार से होगा।
विशेष- शनि पनोती का असर स्थूल रूप से दिया गया है, सूक्ष्म फल हेतु जन्मपत्रिका से देखे।

राशि अनुसार फल
मेष- इस राशि के जातकों को छोटी पनोती से मुक्ति मिलेगी। तथा भाग्य भाव में जाने से लम्बी यात्रा प्रवास, भाई-बहिन के सुख में वृद्धि, नौकरी में स्थानान्तरण, पदौन्नति, रोग से मुक्ति एवं कोर्ट मामलों में राहत मिलेगी।
वृषभ- इस राशि वालें जातकों के छोटी पनोती लौह पाद पर कष्टदायक रहेगी। नजदीकी संबंधी के अशुभ समाचार, छोटी बीमारी, ऋण की बढ़त आदि कष्ट होंगे।
मिथुन-इस राशि वालों के सातवें शनि रहकर देह भाव पर दृष्टि से रोग उत्पन्न करेगा। शनि संधि, हड्डी व रक्त को मंद करने का काम करता है जिससे रोग होता है। वायु प्रकृति वालों को विशेष ध्यान रखना है। दाम्पत्य जीवन पर भी अशुभ फल दायक रहेगा।
कर्क-इस राशि वालों के शनि छठे भाव में होने से शत्रु पर विजय, नौकरी में स्थानान्तरण, पदौन्नति, पैतृक सम्पत्ति, पुराने कर्ज व छोटी यात्रा में लाभ होगा।
सिंह-इस राशि वालों के शनि पांचवें भाव में रहकर दाम्पत्य जीवन की असमझ में सुधार, अविवाहितों के लिए संबंध बनने, भाग्य में परिवर्तन लायेगा परन्तु पढ़ाई हेतु समस्याग्रस्त रहेगा।
कन्या- इस राशि वालें जातकों के छोटी पनोती लौह पाद पर कष्टदायक रहेगी।  जमीन-जायदाद के मामलों में सावधानी बरतें। छाती या हृदय में कुछ भी दर्द होतो तुरंत चिकित्सक से सलाह ले।
तुला- इस राशि के जातकों को साढे़साती पनोती से मुक्ति मिलेगी। नवीन सर्जन, राज सुख, नौकरी आदि में पदौन्नति, रिश्तेदारों से संबंध व संतानों संबंधी शुभ समाचार आदि में लाभ प्राप्त होगा।
वृश्चिक- इस राशि वालें जातकों के साढ़ेसाती का अन्तिम भाग यानि पैरों पर चांदी के पाद पर शुरू होगा जो लाभदायक रहेगा। परन्तु अनीति पर चलने वालों के लिए समय दिन में तारें भी दिखा सकता है।
धनु- इस राशि वालें जातकों के साढ़ेसाती का मध्य भाग यानि छाती पर सुवर्ण के पाद पर शुरू होगा जो चिंता कारक रहेगा। शरीर में वायु विकार, दाम्पत्य जीवन में संघर्ष, भागीदारी में नुकसान व भाग्य का साथ कम रहेगा।
मकर- इस राशि वालें जातकों के साढ़ेसाती का प्रथम भाग यानि सिर पर लौह पाद पर कष्ट दायक रहेगा। बड़ा खर्च, शत्रु भय, रिश्तेदारों के अशुभ समाचार, रोग व देवप्रकोप में वृद्धि आदि से सावधानी बरतें।
कुंभ-इस राशि वालों के शनिदेव ग्यारहवें भाव में होने से मित्र वर्ग, वाहन, संतान प्रगति, होगी। चतुर्दिक लाभ व शुभ समाचार मिलेंगे।
मीन-इस राशि वालों के छोटी यात्रा, फालतु खर्च, व्यापार में परिवर्तन, गुप्त शत्रु का आगमन आदि होगा। छोटे रोग पर तुरंत ईलाज लेवे।


1 comment:

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