आजकल कुछ लोग ( यह बिल्कुल शास्त्रीय शब्द है, जिसका अर्थ बिल्कुल सभ्य है)यह कहते पाए गये हैं कि जयन्ती शब्द उन महापुरुषों के लिए प्रयोग करो जो मर चुके हैं।
#समाधान---
यह बात बिल्कुल निराधार है कि जयन्ती शब्द केवल मृतक महापुरुषों के जन्म दिवस के लिए ही है।
#जयंती का अर्थ---
जयतीति । जि + “तॄभूवहिवसीति । ” उणां ३ । १२८ । इति झच् ।
व्याकरण की व्युत्पत्ति के अनुसार यह #विजयप्रद कालांश के लिए प्रयुक्त शब्द है।
अर्थात् जिस विजयी क्षण में कोई महापुरुष प्रकट हुआ हो।
पुराणों में यह भी कहा है कि --
“#जयं पुण्यञ्च कुरुते जयन्तीमिति तां विदुः।।
जयप्रद और पुण्यशाली क्षण भी जयन्ती शब्द वाच्य है।
जो अत्यधिक बलवान् शत्रुओं पर विजय प्राप्त करें उसे #जयन्त कहते हैं ,इसी को देने वाली वेला जयन्ती है----
“#अतिशयेनारीन् जयते जयहेतुरिति वा जयन्तः । ” इति तद्भाष्यम् ।। )
भगवान् विष्णु का भी नाम #जयन्त है । अतः उसके प्राकट्य को व्यक्त करने वाली #वेला भी #जयन्ती शब्द वाच्य है---
“अर्को वाजसनः शृङ्गी #जयन्तः सर्व्वविज्जयी ।।
भगवान् शिव का भी नाम जयन्त है , उसके अवतारों का प्राकट्य दिवस भी जयन्ती पद वाच्य है----
यथा मात्स्ये । ५ । ३० । “सावित्रश्च #जयन्तश्च पिनाकी चापराजितः । एते रुद्राः समाख्याता एकादशगणेश्वराः ।।
भगवान वासुदेव के अंश उपेन्द्र के लिए भी जयन्त शब्द है--
जयन्तो वासुदेवांश उपेन्द्र इति यं विदुः ।।
रोहिणीसहिता कृष्णा
मासे च श्रावणेऽष्टमी ।। अर्द्धरात्रादधश्चोर्द्ध्वं
कलयापि यदा भवेत् ।
जयन्ती नाम सा प्रोक्ता सर्व्वपापप्रणाशिनी ।।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अनेक ग्रहों की उच्च स्थिति से यह योग बनता है हमारे सभी अवतारों के जन्म समय में यह ज्योतिषीय योग विद्यमान है अतः उनका जन्म दिवस जयन्ती कहलाता है---
यत्र स्वोच्चगतश्चन्द्रो लग्नादेकादशे स्थितः । #जयन्तो नाम योगोऽयं शत्रुपक्षविनाशकृत् ।।
अतः सिद्ध है कि जयन्ती शब्द का जीवित/मृत से कोई सम्बन्ध नहीं है ।यह प्रकट दिवस पर प्रयुक्त होता है।
।। #शास्त्र_संस्कृति_प्रवाह ।।
Arun shastri की वाल से साभार
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