Friday, 14 January 2022

सूर्य मकर रेखा या मकर राशि में प्रवेश

बिना किसी अरबों खरबों के संयंत्र और apparatus का प्रयोग किये बिना ही हमारा सनातन वैदिक विज्ञान ये लाखों वर्षों से बताता चला आ रहा है कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा कर ऐसे स्थान विशेष पर पहुँचती है कि सूर्य मकर रेखा या मकर राशि में प्रवेश करता है जिसे आज का विज्ञान एक assumed line Tropic of Capricorn बोलता है ।
हमारे सनातन वैदिक विज्ञान को यह भी पता था कि पृथ्वी स्थैतिज्व ऐसी जगह पर होगा जब सूर्य , नक्षत्र द्वारा निकलने वाली किरणों का प्रभाव जल पर पड़कर उसे और भी अमृतमय और विशेष radiation युक्त करता है जिसमें नहाकर मनुष्य मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकता है ।
यह बात ध्यान रखिये की जितना विज्ञान अभी तक जान पाया है केवल उतना ही नहीं है , बल्कि विज्ञान मात्र 0.05% ही जान पाया है । विज्ञान मात्र कुछ ही radiations और निकलने वाली एनर्जी या waves को ही जान पाया है ।
जल पर खगोलीय पिंडों और उनके द्वारा निकलने वाली अनजान और अदृश्य किरणों या different wavelength के खगोलीय प्रकाश का क्या असर होता है यह पूर्णिमा के दौरान समुद्र के ज्वारभाटा से समझा जा सकता है ।
कितना सूक्ष्म विज्ञान था जिसमें हमारे ऋषि मुनि ( आज की भाषा में वैज्ञानिक ) ने मकर संक्रांति , पूर्णिमा , संक्रांति या किसी विशेष तिथि पर सरोवर , नदी ( खुला जलाशय ) इत्यादि में स्नान करने का विधान बनाया और उसे धर्म से जोड़ दिया , लोभ लालच दिखाया कि इसी बहाने यह मनुष्य उक्त क्रिया करके मानसिक , शारीरिक एवं आध्यात्मिक लाभ ले सकें ।
आप सनातन धर्म का कोई भी त्योहार ले लीजिए , सभी त्योहार किसी न किसी कारण से बनाये गए हैं और प्रत्येक कारण के पीछे खगोलीय पिंडों की गति, घूर्णन , परिधि , परिक्रमा या ऐसे विशेष कारणों पर आधारित है ।
कुछ भी मतलब कुछ भी randomly कोई भी त्योहार उठा लीजिये । मैं challenge के साथ कह सकता हूँ और प्रमाणित कर सकता हूँ कि सभी के पीछे खगोलीय घटना है ।
अब सोचिये कि हमारा वैदिक विज्ञान कितना आगे था । जो लोग अब ढूँढ रहे हैं उससे अरब गुना आगे हम पहले ही खोज कर बैठे हैं ।
लेकिन हमें तो अपने शास्त्रों को गाली देना , जलाना , जूते मारना और अपनी ही स्वाभिमान और शक्तियों पर शर्मिंदा होना जो सिखा दिया गया है तो हम उसी तरह बन गए हैं ।
अपने त्योहारों पर गर्व करना सीखिए और उसके अंतरंग कारणों को जानना सीखिए , तभी किसी त्योहार की सार्थकता होगी और उसका लाभ आप प्राप्त कर सकते हैं । अपने आने वाली generation और बच्चों को सभी त्योहारों का महत्व , कारण और उन पर गर्व करना सिखाईये ।
- Shwetabh Pathak ( श्वेताभ पाठक ) जी की वाल से साभार 

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