इस वर्ष का प्रथम खग्रास चन्द्र ग्रहण 31 जनवरी को
शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी भीनमाल
इस वर्ष का प्रथम खग्रास चन्द्र ग्रहण बुधवार, माघ शुक्ला पूर्णिमा, 31 जनवरी को भारत में दिखाई देगा। यह ग्रहण पुष्य नक्षत्र व कर्क राशि पर रहेगा जिसमें कर्क राशि पर ज्यादा असर कारक है।
यह ग्रहण मेष, कर्क, सिंह व धनु राशि वालों के लिए अशुभ रहेगा, मिथुन, वृश्चिक, मकर व मीन राशि वालों के लिए मध्य व वृषभ, कन्या, तुला व कुम्भ राशि वालों के शुभ रहेगा।
साथ ग्रहण काल में मंगल व शनि का द्विर्दादश योग होने से विश्व स्तर पर मानसिक तनाव से शीतयुद्ध व राज्य परिवर्तन जैसी घटनाएं घटित हो सकती है।
ग्रहण काल कर्क व सिंह लग्न में हो रहा है। कर्क लग्न में राहु तथा सिंह लग्न में बारहवें राहु जाने से सŸाा को लेकर राज्य, देश व विश्व स्तर पर कई नये आयाम या परिवर्तन के संकेत देखने को मिलेंगे। बृहस्पति की अपनी शत्रु राशि होने से पृथ्वी वासियों हेतु अशुभता का संदेश रहता हैं।
ग्रहण का स्पर्श भारतीय समयानुसार शाम 5 बजकर 18 मिनट पर है एवं ग्रहण मोक्ष 8 बजकर 42 मिनट पर रहेगा। यह ग्रहण भारत सहित संपूर्ण एशिया खंड, अमेरिका, यूरोप के ईशान भाग में, आस्ट्रेलिया, न्यूजिलैण्ड, पेसिफिक महासागर तथा हिन्दमहासागर में दिखाई देगा। भारत में ग्रहण का स्पर्श दिखाई नहीं देगा इसलिए ग्रहण हुआ बिम्ब ही उदय होगा। ग्रहण की खग्रास अवस्था पूरे भारत में दिखाई देगी।
ग्रहण का वेध प्रातः सूर्योदय से शुरू होगा। अशक्त लोगों, गर्भवती महिलाओं आदि हेतु दोपहर 11.30 से वेध लगेगा।
ग्रहण के समय स्नान करके देवपूजा, तर्पण, श्राद्ध, जप, होम व दान करें। और ग्रहण पूर्ण होने पर पुनः दान करें। जननशौच या मृतात्माशौच में ग्रहण संबंधी स्नान, दान आदि कर्म करने की शुद्धि है।
मंत्र-तंत्र पुनश्चरण संबंधी- नया मंत्र ग्रहण करना या पुनश्चरण करना हो तो ग्रहण काल में तुरंत फलदायी होते है। ग्रहण काल में किये जाने वाले कृत्यों के स्थान पर नींद आदि करने से बुखार आदि पीड़ा, मूत्रोत्सर्ग करने से मूत्र संबंधी रोग या दरिद्रता, शौच करने से कृमि रोग, अभ्यंग करने से कुष्ठ रोग और भोजन करने से नरक की प्राप्ति होती है।
शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी भीनमाल
इस वर्ष का प्रथम खग्रास चन्द्र ग्रहण बुधवार, माघ शुक्ला पूर्णिमा, 31 जनवरी को भारत में दिखाई देगा। यह ग्रहण पुष्य नक्षत्र व कर्क राशि पर रहेगा जिसमें कर्क राशि पर ज्यादा असर कारक है।
यह ग्रहण मेष, कर्क, सिंह व धनु राशि वालों के लिए अशुभ रहेगा, मिथुन, वृश्चिक, मकर व मीन राशि वालों के लिए मध्य व वृषभ, कन्या, तुला व कुम्भ राशि वालों के शुभ रहेगा।
साथ ग्रहण काल में मंगल व शनि का द्विर्दादश योग होने से विश्व स्तर पर मानसिक तनाव से शीतयुद्ध व राज्य परिवर्तन जैसी घटनाएं घटित हो सकती है।
ग्रहण काल कर्क व सिंह लग्न में हो रहा है। कर्क लग्न में राहु तथा सिंह लग्न में बारहवें राहु जाने से सŸाा को लेकर राज्य, देश व विश्व स्तर पर कई नये आयाम या परिवर्तन के संकेत देखने को मिलेंगे। बृहस्पति की अपनी शत्रु राशि होने से पृथ्वी वासियों हेतु अशुभता का संदेश रहता हैं।
ग्रहण का स्पर्श भारतीय समयानुसार शाम 5 बजकर 18 मिनट पर है एवं ग्रहण मोक्ष 8 बजकर 42 मिनट पर रहेगा। यह ग्रहण भारत सहित संपूर्ण एशिया खंड, अमेरिका, यूरोप के ईशान भाग में, आस्ट्रेलिया, न्यूजिलैण्ड, पेसिफिक महासागर तथा हिन्दमहासागर में दिखाई देगा। भारत में ग्रहण का स्पर्श दिखाई नहीं देगा इसलिए ग्रहण हुआ बिम्ब ही उदय होगा। ग्रहण की खग्रास अवस्था पूरे भारत में दिखाई देगी।
ग्रहण का वेध प्रातः सूर्योदय से शुरू होगा। अशक्त लोगों, गर्भवती महिलाओं आदि हेतु दोपहर 11.30 से वेध लगेगा।
ग्रहण के समय स्नान करके देवपूजा, तर्पण, श्राद्ध, जप, होम व दान करें। और ग्रहण पूर्ण होने पर पुनः दान करें। जननशौच या मृतात्माशौच में ग्रहण संबंधी स्नान, दान आदि कर्म करने की शुद्धि है।
मंत्र-तंत्र पुनश्चरण संबंधी- नया मंत्र ग्रहण करना या पुनश्चरण करना हो तो ग्रहण काल में तुरंत फलदायी होते है। ग्रहण काल में किये जाने वाले कृत्यों के स्थान पर नींद आदि करने से बुखार आदि पीड़ा, मूत्रोत्सर्ग करने से मूत्र संबंधी रोग या दरिद्रता, शौच करने से कृमि रोग, अभ्यंग करने से कुष्ठ रोग और भोजन करने से नरक की प्राप्ति होती है।
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